दुनिया के सबसे रहस्यमय सवालों में कई ऐसे हैं जो मानवता को हमेशा से आकर्षित करते आए हैं और वैज्ञानिक इनके पीछे कई सालों से लगे हैं लेकिन जवाब अभी तक नहीं मिला है, जैसे की जीवन का अर्थ क्या है? क्या इस ब्रह्मांड में कहीं और भी जीवन है? या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं, हमारा ब्रह्मांड बना कैसे, हम सपने क्यों देखते हैं जहां सब कुछ पहले से निर्धारित है? यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करते हैं और मानवता के अस्तित्व और ज्ञान की सीमाओं को चुनौती देते हैं, ऐसे ही कुछ और भी सवाल है जिनके जवाब हम वैज्ञानिक पॉइंट ऑफ व्यू से जानने की कोशिश करेंगे.
क्या भगवान है? Does God Exist
सबसे पहले हम बात करते हैं क्या भगवान है?(Does god exist) लगभग सभी मनुष्य यही मानते हैं कि इस सृष्टि का निर्माण ईश्वर ने किया है परंतु वैज्ञानिकों में इस बात पर हमेशा ही मतभेद होता रहा है, विज्ञान के अनुसार लगभग 14 अरब साल पहले एक भयंकर विस्फोट हुआ जिससे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ परंतु यह विस्फोट आखिर क्यों हुआ और इससे पहले पहले क्या था? इस सवाल का उत्तर किसी के पास भी नहीं है विज्ञान के पास भी नहीं. धरती पर जीवन की हलचल कैसे हुई इस विषय पर भी साइंटिस्ट आपस में उलझे हुए हैं बिग बैंग और क्वांटम फिजिक्स की दुनिया और रहस्यमय जीवन जीने लायक धरती सूर्य से इसकी बिल्कुल सही दूरी, इसका वातावरण इसका चंद्रमा, ऋतुओं का आना जाना, दिन रात का बनना सब कुछ इतना व्यवस्थित है मानो किसी ने सोच समझकर बनाया हो, यही सारी बातें हमें यह सोचने पर मजबूर कर देते कि सृष्टि अपने आप नहीं बनी बल्कि इसको किसी ने बनाया है और उसी को हम ईश्वर कहते हैं मगर क्या भगवान का इस दुनिया में अस्तित्व है या नहीं इस सवाल के निष्कर्ष पर आज तक वैज्ञानिक नहीं पहुंच पाए हैं, हैं उन्हीं में से एक सवाल यह भी है इस ब्रह्मांड में अनगिनत तारे मौजूद हैं अनगिनत आकाश गंगा एं मौजूद हैं तो क्या सिर्फ पृथ्वी एक मात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन है क्या पृथ्वी ही अपने सूर्य से इतनी दूरी पर है इसके अलावा कोई भी ग्रह इस दूरी पर नहीं है?
यदि पानी में जलचर जीव ना होते तो शायद आज हम इंसान यही मानते कि पानी में तो जीवन संभव ही नहीं क्योंकि यहां पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं है जबकि हर जीव जंतु तो ऑक्सीजन के सहारे ही चलता है मगर पानी में रहने वाले जीव जंतु यह साबित करते हैं कि पानी में भी जीवन है और पानी ही नहीं समुद्र की गहराइयों में भी जीवन है जहां हम कुछ समय पहले तक यह मानते थे कि वह जगह वीरान है भले ही जीने के लिए जरूरतें अलग-अलग हो लेकिन जीवन तो है तो हो सकता है इसी प्रकार के दूसरे प्लेनेट पर रहने वाले जीवों के लिए भी जीने के लिए कुछ अलग वातावरण की आवश्यकता हो उन्हें जीने के लिए ऑक्सीजन की नहीं बल्कि अपने ग्रह के ही किसी मटेरियल की जरूरत हो मगर इस बारे में स्पष्ट रूप से हम ना तो अभी जान पाए हैं और ना ही इसे ठीक-ठीक एक्सप्लेन कर पाए हैं, ना ही ऐसी कोई थ्योरी दे पाए हैं जो ये साबित करती हो कि ब्रह्मांड में हम अकेले नहीं हैं. जो भी मटेरियल हम अपने आसपास देखते हैं वह एटम से बने हैं मगर समस्त ब्रह्मांड का केवल 5 प्रतिशत हिस्सा ही एटम से बना है, बाकी 95 प्रतिशत हिस्सा dark matter (27%) and dark energy (68%), से बना है.